गोंदिया गोलीकांड: जिसे शहर-शहर ढूंढ रही थी पुलिस, वो घर में ही छुपा मिला !

14 महीने बाद ‘ऊंट पहाड़ के नीचे’: मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी से सफेदपोश चेहरे होंगे बेनकाब

गोंदिया : शहर थाना क्षेत्र में दिनदहाड़े हुए सनसनीखेज गोलीबारी कांड के मास्टरमाइंड प्रशांत मेश्राम को लोकल क्राइम ब्रांच ने दबोच लिया है। 14 महीने से फरार यह अपराधी पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए लगातार ठिकाने बदल रहा था। लेकिन गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने 3 मार्च की शाम भीमनगर इलाके में जाल बिछाया और आखिरकार उसे उसके ही घर से गिरफ्तार कर लिया।

करीब से चलाई थी गोली, अब तक 10 गिरफ्तार

11 जनवरी 2024 को पूर्व नगरसेवक और जय श्री महाकाल सेवा संस्थान के अध्यक्ष लोकेश (कल्लू) यादव पर दो बाइक सवार शूटरों ने महज पांच फीट की दूरी से फायरिंग की थी। इस हमले में एक गोली उनके शरीर में धंस गई, जिसे नागपुर में जटिल ऑपरेशन के बाद निकाला गया और उनकी जान बच गई।

पुलिस अब तक इस मामले में दो शूटरों सहित 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। बरामदगी में माउजर पिस्टल, तीन जिंदा कारतूस, दो बाइक और चार मोबाइल जब्त किए गए हैं। लेकिन मास्टरमाइंड प्रशांत मेश्राम वारदात के बाद से ही फरार था।

हमले के लिए 40 लाख की सुपारी !

पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह हमला 40 लाख रुपये की सुपारी पर किया गया था। हमले से पहले शूटरों ने एक हफ्ते तक रेकी की थी। सवाल यह उठता है कि यह रकम प्रशांत मेश्राम ने खुद दी या किसी सफेदपोश से लेकर दी गई?

शूटरों ने पहले की थी फायरिंग की प्रैक्टिस!

मास्टरमाइंड प्रशांत मेश्राम ने शूटरों को माउजर पिस्टल उपलब्ध कराई थी। ताकि हमले के वक्त निशाना न चूके, इसके लिए नंगपुरा मुर्री की लाल पहाड़ी के पीछे एक दिन तक फायरिंग की प्रैक्टिस भी की गई थी।

अब पुलिस यह भी खंगाल रही है कि यह हथियार प्रशांत मेश्राम के पास कहां से आया? उसने इसे खरीदा या किसी सफेदपोश ने इसे उपलब्ध कराया? यह राज अब उसकी गिरफ्तारी के बाद खुलेगा।

घर में शरण देने वालों पर भी होगी कार्रवाई?

सूत्रों के मुताबिक, जिस अपराधी को पुलिस 14 महीने से खोज रही थी, वह पिछले डेढ़ से दो महीने से अपने ही घर में छिपा हुआ था। हत्या के प्रयास जैसे संगीन मामले में फरार अपराधी को घर में पनाह देना कानूनी अपराध है।

अब पुलिस प्रशांत मेश्राम के परिवार पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है, क्योंकि उन्होंने पुलिस को सूचना नहीं दी।

अब कौन-कौन बेनकाब होगा?

पुलिस को उम्मीद है कि पीसीआर रिमांड के दौरान कई सफेदपोश चेहरे उजागर हो सकते हैं। हो सकता है कि इस मामले में आरोपियों की संख्या और बढ़े।

अब देखना यह है कि क्या प्रशांत मेश्राम पुलिस को उन मास्टरमाइंड तक पहुंचने में मदद करेगा, जो पर्दे के पीछे से इस हमले को अंजाम दिलवा रहे थे?

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